तुलसीदास का जीवन परिचय
तुलसीदास का जीवन परिचय PDF Download तुलसीदास हिन्दी तथा भारतीय साहित्य के महान कवि थे जिन्होने महान कविताओं की रचनाए की। तुलसीदास का जन्म श्रावण मास के सातवें दिन में चमकदार अर्ध चन्द्रमा के समय पर हुआ था।
Tulsidas Ji History In Hindi : तुलसीदस का जन्म सवंत 1589 मे, राजापुर बाँदा उत्तर प्रदेश( यूपी ) मे हुआ था तुलसीदस की पिता का नाम आत्माराम दुबे था ओर माता का नाम हुलसी देवी था ओर तुलसीदास जी का पूरा नाम गोस्वामी तुलसीदास था ।
तुलसीदास जी के जन्म की चौथे दिन इनके पिता की मृत्यु हो गई। तुलसीदास बचपन से ही वेद पुराण ओर उपनिषदों का अध्यन करने मे अधिक रुचि रखते थे कई इतिहासकार यह मानते है की तुलसीदास का जन्म 1532 मे हुआ था ओर उन्होने 126 साल तक अपना जीवन बिताया ।
तुलसीदास जी का नाम रामबोला केसे पड़ा
तुलसीदास का जीवन परिचय PDF Download ऐसा कहा जाता है की जहा किसी बच्चे का जन्म 9 महीने मे हो जाता है वही तुलसीदास जी अपनी माँ के गर्भ मे 12 महीनो तक रहे थे जब तुलसीदास का जन्म हुआ था तब उनके जन्म के समय उनके 32 दात थे।
ऐसा कहा जाता है की वे बचपन से रोने के बजाय राम राम बोला करते थे जिसके कारण तुलसीदास जी का नाम रामबोला पड़ गया ।
उनके जन्म के समय ज्योतिषियों ने बताया तुलसीदास अशुभ समय में पैदा हुए थे ओर यह भी कहा था कि वे अपने माता-पिता के ऊपर संकट रहेगा जिसके कुछ दिन बाद उनकी माता हुलसी देवी का देहांत हो गया ओर तुलसीदास अब इस दुनिया मे अकेले रह गए इसके बाद तुलसीदास जी का पालन पोषण दसियों द्वारा किया गया ये दासियाँ तुलसीदासजी का पालन पोषण अपने बच्चे की तरह किया वहीं जब तुलसीदास करीब 5 साल के थे तब दासीयों भी संसार छोड़कर चल बसी।
थोड़े वर्षों के बाद तुलसीदास जी का विवाह रत्नावली नाम की कन्या से कर दिया गया रत्नावली एक अति सुंदर कन्या थी विवाह की बाद जब एक बार रत्नावली अपने माई के चली गयी तो तुलसीदास जी रात के घने अंधेरे मे ओर उफनती नदी को पार कर के ससुराल पहुच गए ओर सीधे ही रत्नावली के कमरे मे घुस गए जिसे देख उसकी पत्नी चौक गई ओर रत्नावली तुलसीदास जी पर क्रोधित हो गई ओर रत्नावली ने तुलसी दास जी को कड़े शब्द बोले जिसके बाद तुलसीदास जी का जीवन ही बादल गया ।
तुलसीदास जी की प्रारम्भिक शिक्षा
तुलसीदास ने वाराणसी में संस्कृत व्याकरण सहित चार वेदों का ज्ञान प्राप्त किया और 6 वेदांग का अध्ययन भी किया वे बचपन से चिंतनशील प्रवृति के थे उनमें सीखने की क्षमता प्रबल थी।
कहा जाता है की तुलसीदास जी की करीब 16-17 वर्ष तक ही पढ़ाई की पढ़ाई करने के बाद वे राजपुर लॉट आए तुलसीदास को हमेशा वाल्मिकी के अवतरण के रुप में प्रशंसा मिली । तुलसीदास ने अपना पूरा जीवन शुरुआत से अंत तक बनारस में ही व्यतीत किया।
तुलसीदास जी की रचनाएं
तुलसीदास ने करीब 1631 में रामनवमी पर अयोध्या में रामचरितमानस को लिखना प्रारम्भ किया था। रामचरितमानस को तुलसीदास ने मार्गशीर्ष महीने के विवाह पंचमी (राम-सीता का विवाह) पर वर्ष 1633 में 2 साल, 7 महीने, और 26 दिन का समय लेकर पूरा किया ।
इसको पूरा करने के बाद तुलसीदास वाराणसी आये और काशी के विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती को महाकाव्य रामचरितमानस सुनाया।
तुलसीदास जी की मृत्यु
कहा जाता है कि तुलसीदास जी काफी सालों से बीमार थे जिसके कारण गंगा नदी के किनारे अस्सी घाट पर राम नाम शब्द का स्मरण किया ओर अपने प्राण त्याग दिये ओर एसा भी कहा जाता है कि तुलसीदास ने अपने मृत्यु से पहले आखिरी कृति विनय-पत्रिका लिखी थी जिस पर खुद प्रभु राम ने हस्ताक्षर किए थे।
तुलसीदास जी कि रचनाये
- रामललानहछू
- वैराग्य-संदीपनी
- बरवै रामायण
- कलिधर्माधर्म निरुपण
- कवित्त रामायण
- छप्पय रामायण
- कुंडलिया रामायण
- रोला रामायण
- राम शलाका
- कवितावली
- दोहावली
- रामाज्ञाप्रश्न
- गीतावली
- विनयपत्रिका
- संकट मोचन
- छंदावली रामायण
- सतसई
- जानकी-मंगल
- पार्वती-मंगल
- श्रीकृष्ण-गीतावली
- झूलना
very nice
Supar
Hello There. I found your blog using msn. This is a very well written article. I will be sure to bookmark it and come back to read more of your useful information. Thanks for the post. I will definitely comeback.
Tulshi das hi Ka shahitik jivan prichay dijiye