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पानीपत की पहली लड़ाई (21 अप्रैल 1526 )

By | April 6, 2021
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भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना किसने की थी

Panipat Ki Pehli Ladai पानीपत की पहली लड़ाई (21 अप्रैल 1526 ) बाबर का जन्म 14 फरवरी 1483 ई को फरगना के एक छोटे से राज्य मे हुआ था।

बाबर के पिता का नाम उमरशेख था जो फरगना का शासक था और उसकी माता का नाम कुतलुग निगार खनम था।

पानीपत की पहली लड़ाई (21 अप्रैल 1526 )जब बाबर केवल 11 वर्ष ओर 4 महीने का ही था तब उसके पिता की मृत्यु हो गई ओर बाबर को फरगना के राजसिंहासन की गद्दी पर बेठना पड़ा। उसकी बाल्यवस्था को देखकर उसके चाचा अहमद मिर्जा और मामा महमूदखाँ ने फरगना राज्य पर अधिकार करने का प्रयास किया लेकिन बाबर ने प्रजा के सहयोग से इन प्रयासों को विफल कर दिया।

बाबर द्वारा समरकन्द को दो बार पाना और खोना

बाबर बड़ा महत्वकांशी ओर वीर व्यक्ति था 1497 मे उसने समरकन्द पर आक्रमण किया और 7 महीने के घेरे के बाद उस पर अधिकार कर लिया लेकिन वह केवल 100 दिनो तक ही समरकन्द पर अधिकार रख सका और बीमार होने के कारण बाबर के हाथ से समरकन्द ओर फरगना दोनों ही उसके हाथ से निकाल गए।

1501 मे उसने समरकन्द पर वापस अधिकार कर लिया लेकिन 8 महीने बाद ही उसके प्रतिध्न्धी शैबाली खाँ ने बाबर को पराजित करके समरकन्द पर वापस अधिकार कर लिया लेकिन जल्द ही उसे समरकन्द छोड़ना पड़ा।

बाबर का भारत पर आक्रमण ओर मुगल साम्राज्य की नीव की स्थापना

Panipat Ki Ladai : पहला आक्रमण, 1519 मे बाबर ने भारत की ओर प्रस्थान किया और बाजौर तथा भेरा के दुर्ग पर अपना अधिकार स्थापित किया।

दूसरा आक्रमण कुछ समय के बाद सितम्बर 1519 मे बाबर ने भारत पर आक्रमण किया था ओर इस बार वह पेशावर तक ही बढ़ा था की बदख्न्शा मे विद्रोह हो जाने के कारण उसे शीघ्र ही काबुल लौटना पड़ा।

तीसरा आक्रमण करीब 1520 मे पंजाब मे बाबर ने भारत पर तीसरा आक्रमण किया ओर सियालकोट पर अधिकार कर लिया। 1522 मे कंधार पर भी बाबर ने विजय प्राप्त कर ली।

चौथा आक्रमण 1524 मे पंजाब के सूबेदार दौलतखा लोदी का निमंत्रण पाकर बाबर ने भारत पर चौथा आक्रमण किया था।

पांचवा आक्रमण 1525 मे एक विशाल सेना लेकर बाबर ने भारत मे प्रवेश किया दोलतखा लोदी को पराजित कर बाबर ने एक बार फिर पंजाब पर अपना अधिकार कर लिया ओर अब बाबर ने दिल्ली के सुल्तान इब्राहीम लोदी से टक्कर लेने का निश्चय कर लिया। इस तरह बाबर की शक्ति बढती जा रही थी ओर धीरे धीरे बाबर भारत पर अधिकार कर रहा था यानी भारत मे मुगल साम्राज्य की स्थापना हो रही थी।

भारत मे पानीपत की पहली लड़ाई ओर मुगल साम्राज्य की स्थापना

बाबर एक वीर योद्धा था वह अपने राज्य का विस्तार करने के लिए कटिबद्ध था ओर उसने अपने साम्राज्य ओर शक्ति के विस्तार के लिए भारत पर आक्रमण करने का निश्चय किया।

बाबर भारत की धन सम्पती से भली प्रकार से परिचित था ओर इस असीम धन संपती को प्राप्त करने के लालसा ने बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए प्रोत्साहित किया।

भारत की दुर्बल राजनीतिक स्थिति के अभाव मे अनेक छोटे छोटे स्वतंत्र राज्य बन गए थे जो सदेव आपस मे लड़ते थे दिल्ली का सुल्तान इब्राहिम लोदी अयोग्य दुर्बल ओर अलोकप्रिय था, ओर करीब 1503 मे भाबर ने अपने भटकते जीवन के दौरान एक वृद्ध महिला से बाबर ने तेमूर के आक्रमण की कथा सुनी उसने उसे भारत पर आक्रमण करने के लिए प्रोत्साहित भी किया।

बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित करना

दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी के कठोर व्यवहार से दुख होकर पंजाब के गवर्नर दौलतखा लोदी और आलमखा ने बाबर को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण दिया ओर कहा जाता है की मेवाड़ के राणा सांगा ने भी इब्राहिम लोदी के विरुद्ध बाबर को सहायता देने का आश्वासन दिया था।

पानीपत की पहली लड़ाई (21 अप्रैल 1526 ), Panipat First Battle In Hindi

पानीपत की पहली लड़ाई (21 अप्रैल 1526 )

पानीपत की पहली लड़ाई (21 अप्रैल 1526 )

पंजाब पर अधिकार करने के बाद बाबर ने दिल्ली की ओर प्रस्थान किया बाबर के पास उस समय करीब 22 हजार सेनिक ओर बहुत सी तोपे थी।

बाबर की सेना मे करीब 25 हजार घोड़े थे दूसरी ओर इब्राहिम लोदी एक लाख सेनिक लेकर बाबर के मुक़ाबले के लिए आगे बढ़ा ओर पानीपत के प्रसिद्ध मेदान मे दोनों सेनाए आमने सामने आकार खड़ी हो गई बाबर ने बड़े ढंग से अपनी सेना की रचना की ओर उसने तुलुगमी नीति का सहारा लिया जिसमे आक्रमणात्मक ओर सुरक्षात्मक दोनों ही प्रकार की व्येवस्था थी।

21 अप्रैल 1526 को दोनों पक्षो मे युद्ध आरंभ हो गया ओर अफगानों ने पूरी शक्ति के साथ बाबर की सेना पर आक्रमण किया लेकिन मुगलों के तोपखाने के आगे उन्हे नतमस्तक होना पड़ा इब्राहम लोदी वीरता से लड़ता हुआ मारा गया करीब 15 हजार अफगान सेनिक भी मोत के मुह मे चले गए।

यह लड़ाई निर्णायक सिद्ध हुई पानीपत की लड़ाई से लोदी वंश की शक्ति नष्ट हो गई ओर पानीपत की पहली लड़ाई मे बाबर को पूर्ण सफलता मिली जिसके कारण भारत मे मुगल साम्राज्य की नीव पड़ी ।

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