चंद्रगुप्त मौर्य का इतिहास हिंदी में, चंद्रगुप्त मौर्य का प्रारंभिक जीवन, चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु कब और कहां हुई
चंद्रगुप्त मौर्य की जीवनी इन हिंदी : चंद्रगुप्त मौर्य एक महान सम्राट थे जिन्होंने पूरी दुनिया पर राज किया था। उन्होंने भारत में एक साथ अपना साम्राज्य चलाया और वह पहले ऐसे महान सम्राट थे जिन्होने पूरे भारत में एक साथ शासन व्यवस्था लागू की थी।
चंद्रगुप्त मौर्य की जीवनी इन हिंदी – चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म 340 ईसा पूर्व में हुआ था। इनका जन्म पाटलिपुत्र में हुआ था जो वर्तमान में बिहार राज्य में स्थित है। इनकी मृत्यु 298 ईसा पूर्व कर्नाटक में हुई थी।
इनके पिता का नाम नंदा एवं माता का नाम मुरा था। इनके बचपन के बारे में स्पष्ट रूप से आज तक किसी इतिहासकार ने सही तरह से पता नहीं लगा पाये।
चंद्रगुप्त मौर्य ने तीन शादियां की थी। इनकी प्रथम पत्नी का नाम दुर्धरा था दूसरी पत्नी का नाम कार्नेलियो हेलेना था एवं तीसरी पत्नी का नाम चंद्र नंदिनी था।
ऐसा माना जाता है कि जब चंद्रगुप्त मौर्य को हेलेना से प्रेम हुआ था तब उन्होंने हेलेना से विवाह करने के लिए अपनी पहली पत्नि दुर्धरा से इजाजत लेनी पडी थी।
पहली पत्नी दुर्धरा से इनको बिंदुसार नामक बेटा उत्पन्न हुआ था। दूसरी पत्नी जो सेल्युकस की पुत्री थी उनसे इन्हें जस्टिन नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ था। इन्होंने लगभग 25 वर्ष तक शासन किया था।
चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में भारत एक महानशक्ति के रूप में जाना जाता था। पहले के समय में भारत के 18 जनपदों में से एक महानजनपद था मगध।
मगध के राजा का नाम धनानंद था। चंद्रगुप्त मौर्य ने उनके शासनकाल को समाप्त कर वहां पर मौर्य वंश की स्थापना की थी। महान सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य का जैन धर्म की ओर ज्यादा झुकाव रहता था। मोर्य ने अपने अंतिम क्षणों में भी अपने पुत्र बिंदुसार को सारा राज काज सौप कर जैन धर्म में दीक्षा लेकर श्रावणबेलागोला मैसूर चले गए जहां उनकी मृत्यु हुई थी।
श्रावणबेलागोला में मिले षिलालेखो से यह ज्ञात होता है कि चंद्रगुप्त मौर्य अपने अंतिम दिनों में जैन मुनि बन गये थे। श्रावणबेलागोला में वो जिस पहाड़ी पर रहा करते थे उस पहाडी का नाम चंद्रगिरी था। उस पहाडी पर उनके द्वारा बनवाया गया एक मंदिर भी है जिसका नाम चंद्रगुप्तबस्ती है।
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चंद्रगुप्तमौर्य के गुरु चाणक्य
चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु चाणक्य थे, चाणक्य कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी जाने जाते थे। चाणक्य को एक गणितग्य के रूप में भी विष्व में जाना जाता था। सिकंदर ने जब भारत पर आक्रमण किया था तो उस समय चंद्रगुप्त मौर्य ने सबसे पहले भारत के पंजाब में अपनी स्थिति को मजबूत किया था।
चंद्रगुप्तमौर्य ने यवनों का दमन किया। यवनों का दमन करने के लिए उन्होंने कई बार प्रयास किए लेकिन पूर्ण सफलता उनको 383 ईसा पूर्व मिली थी। इसके बाद से ही पंजाब के शासक यूडेमस ने अपनी सेनाओं सहित भारत को छोड़ दिया था। अतः चंद्रगुप्त मौर्य को इस युद्ध के उपरांत ही पंजाब एवं सिंध प्रांत अपनी झोली में मिल गए थे।
चंद्रगुप्त मौर्य बचपन से ही बुद्धिमानी थे। उनके गुरु चाणक्य ने उनकी बुद्धिमानी को पहचाना और उन्हें राजनीतिक व सामाजिक हर प्रकार की शिक्षा से निपुण किया। चंद्रगुप्त मौर्य ने भी यह साबित कर दिया कि वह विश्व के एकमात्र सम्राट है।
चाणक्य की मुलाकात चंद्रगुप्त मौर्य से मगध के साम्राज्य में हुई थी। यहीं से चाणक्य महान सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के गुणों को पहचान कर उन्हें तक्षशिला विश्वविद्यालय पढ़ाने के लिए ले गए। जहां उन्होंने अपनी तरफ से उनको पूरा ज्ञान दिया और वह सारे गुण उन्हें सिखाएं जो एक महान योद्धा में होते है।
कहा जाता है कि चंद्रगुप्तमौर्य की रक्षा करने के लिए उनके गुरु चाणक्य उन्हें खाने में हर रोज थोड़ा जहर मिलाकर दिया करते थे।
चाणक्य का मानना था कि कम मात्रा वाला जहरीला भोजन करने से शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बननी शुरू हो जाती है, इससे उनका शत्रु किसी भी प्रकार का जहर देकर उन्हें मार ना पाए और ना जहर का कोई असर हो सके।
उस कम मात्रा वाले जहरीले भोजन को चंद्रगुप्त मौर्य अपनी पत्नी के साथ खाया करते थे। एक बार जब उनके खाने में जहर की मात्रा अधिक हो गई थी तो जहर की मात्रा अधिक होने के कारण चंद्रगुप्त मौर्य की पत्नी का देहांत हो जाता है। लेकिन चाणक्य द्वारा उसके बेटे बिंदुसार को बचा लिया गया था।
चंद्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य, Chandragupta Maurya Ka Samrajya Vistar
chandragupta maurya ka samrajya : चंद्रगुप्त मौर्य के समय भारत राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक दृष्टि से काफी मजबूत था। महान सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के पास में लगभग 200000 पैदल सैनिक थे, 80000 घुडसवार थे, 9000 हाथी सेना थी।
इसके अलावा उनके पास रथ सवार सैनिक थे एवं और तीर अंदाज सैनिक भी थे। चंद्रगुप्त मौर्य अपनी सेना का हमेषा उत्साह बढाया करते थे। जिससे उनकी सेना में हमेषा जोष रहता था। मौर्य की सेना का जोषीला अंदाज देखकर उनके दुषमन भी भाग खडे हो जाते थे।
चंद्रगुप्तमौर्य का महान साम्राज्य अत्यन्त फैला हुआ था। उनका साम्राज्य उत्तरी एवं पूर्व भारत के साथ में ब्लूचिस्तान में फैला हुआ था। दक्षिण में मैसूर तक एवं दक्षिण पष्चिम में सौराष्ट तक फैला हुआ था।
मेगेस्थनीज के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य कभी दिन में नहीं सोया करते थे वे दिन में राज कार्य में ही व्यस्त रहा करते थ। मेगेस्थनीज के अनुसार यह भी माना गया था कि राजा के दरबार में कुछ गुप्तचर भी थे जो कर्मचारियों पर अपनी दृष्टि बनाये रखते थे और उनकी पल-पल की सूचना राजा को दिया करते थे।
चंद्रगुप्त मौर्य और सिकंदर का युद्ध, chandragupta maurya sikandar ka yudh
chandragupta maurya history in hindi – महान सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने पंजाब में अपने अदबुद साहस से अपना अधिकार कर लिया था वहां के सरदारों और राजाओं को पराजित करने के बाद उन्होंने वहां की सत्ता को अपने अधीन कर लिया था।
chandragupta maurya sikandar ka yudh चंद्रगुप्तमौर्य और सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस निकेटर के बीच में एक युद्ध हुआ। वैसे तो यह युद्ध सिकंदर और चंद्रगुप्त मौर्य के बीच लड़े गये युद्ध के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन असल में यह युद्ध सेल्यूकस निकेटर और चंद्रगुप्त मौर्य के बीच लड़ा गया युद्ध था।
इस युद्ध में मौर्य साम्राज्य की तरफ से एक विशाल सेना मैदान मे उतरी। सेल्यूकस निकेटर भी अपनी विशाल सेना के साथ मैदान में युद्ध लड़ने के लिए आए। दोनों में घमासान युद्ध होने लगा इसके बाद सेल्यूकस निकेटर की सेना चंद्रगुप्त मौर्य की सेना के आगे टिक न सकी। वह मैदान छोड़ भागने लगी। मौर्य की सेना ने अपने पराक्रम और साहस से युद्ध पर विजय प्राप्त कर ली और दुश्मन को भागने पर मजबूर कर दिया।
इस प्रकार से सेल्यूकस की सेना को चंद्रगुप्त मौर्य की सेना ने हरा दिया और उस पर अपना आधिपत्य जमा लिया। उसके बाद में सेल्यूकस द्वारा आत्मसमर्पण कर दिया गया।
चंद्रगुप्त मौर्य और सेल्यूकस के बीच में एक संधि भी हुई थी इस संधि के अनुसार सेल्यूकस ने अपने कुछ राज्य प्रांत काबुल, कंधार, मकरान चंद्रगुप्त मौर्य को दे दिए थे। इस संधि के बाद में ही सेल्यूकस ने अपनी पुत्री हेलेन का विवाह चंद्रगुप्त मौर्य के साथ में किया था।
यही वह युद्ध था जो चंद्रगुप्त मौर्य का अंतिम युद्ध कहा जाता है इसके बाद में उनका जैन धर्म की और झुकाव हो गया था।
चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा दक्षिण भारत की विजय प्राप्त करके संपूर्ण भारत को राजनीतिक एवं सामाजिक एकता मे बांध दिया था। लेकिन उनकी इस विजय पर एक प्रश्न उठता है ।
स्मिथ राॅय के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य उत्तर भारत के विजयों में इतना व्यस्त था कि उनको इतना समय नहीं मिल सका था जिससे वह दक्षिण भारत को अपने कब्जे में ले सके।
कहा जाता है कि दक्षिण भारत की विजय उनके बेटे बिंदुसार ने की थी लेकिन अनेक इतिहासकारों ने इस बात का खण्डन कर दिया कि दक्षिण भारत की विजय उनके बेटे बिन्दुसार ने की थी क्यों कि बिन्दुसार कभी भी विष्व विजेता के रूप में प्रसिद्ध नहीं हुआ था।
महान सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने दक्षिण में मौर्य साम्राज्य को मैसूर और नेल्लोर तक विस्तार कर दिया था।
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