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Munshi Premchand Ki Kahaniyan Pdf

By | January 26, 2023
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Munshi Premchand Ki Kahaniyan Pdf

Munshi Premchand Ki Kahaniyan Pdf

मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय pdf । Munshi Premchand Ki Kahaniyan Pdf

जन्म की तारीख और समय: 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी

मृत्यु की जगह और तारीख: 8 अक्तूबर 1936, वाराणसी

बच्चे: अमृत राय, कमला देवी, श्रीपत राय

शिक्षा: इलाहाबाद विश्वविद्यालय (1919), सेंट्रल हिंदू बॉयज स्कूल

प्रेमचंद की संक्षिप्त जीवनी

Munshi Premchand Ki Kahaniyan Pdf – मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी जिले (U।P।) के लमही गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम आनन्दी देवी और पिता का नाम मुंशी अजायब राय था जो लमही में डाकमुंशी थे।

उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। प्रेमचन्द की आरम्भिक शिक्षा फ़ारसी में हुई। प्रेमचंद के माता-पिता के सम्बन्ध में रामविलास शर्मा लिखते हैं कि- “जब वे सात साल के थे, तभी उनकी माता का देहांत  हो गया।

जब पन्द्रह वर्ष के हुए तब उनका विवाह कर दिया गया प्रेम चंद का विवाह शिवरानी देवी से किया गया  और सोलह वर्ष के होने पर उनके पिता का भी देहान्त हो गया। 

बहुत कम उम्र मे, माताजी के देहांत हो जाने से, प्रेमचंद जी को, बचपन से ही माता–पिता का प्यार नही मिल पाया सरकारी नौकरी के चलते, पिताजी का तबादला गौरखपुर हुआ और, कुछ समय बाद पिताजी ने दूसरा विवाह कर लिया।

सौतेली माता ने कभी प्रेमचंद जी को, पूर्ण रूप से नही अपनाया, उनका बचपन से ही हिन्दी की तरफ, एक अलग ही लगाव था।

जिसके लिये उन्होंने स्वयं प्रयास करना प्रारंभ किया, और छोटे-छोटे उपन्यास से इसकी शुरूवात की अपनी रूचि के अनुसार, छोटे-छोटे उपन्यास पढ़ा करते थे। पढ़ने की इसी रूचि के साथ उन्होंने, एक पुस्तकों के थोक व्यापारी के यहा पर, नौकरी करना प्रारंभ कर दिया।

मुंशी प्रेमचंद की शिक्षा

उनकी शिक्षा का आरंभ उर्दू, फारसी भाषा से हुआ। शुरुआत से ही उनको पढ़ने लिखने का बहुत ही शौक था। 13 वर्ष की आयु में उन्होंने तिलिस्म-ए-होशरूबा पढ़ ली और उन्होंने उर्दू के मशहूर रचनाकार के कई उपन्यास भी पढ़ें।  मेट्रिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद में उन्हें एक स्थानीय विद्यालय में शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया।

Munshi Premchand Ki Kahaniyan Pdf

नौकरी करने के साथ-साथ उन्होंने पढ़ाई भी जारी राखी। उन्होंने अंग्रेजी, दर्शन, फारसी और इतिहास में इंटर पास किया और इसके बाद में बीए पास करने के बाद शिक्षा विभाग में इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त किए गए।

मुंशी प्रेमचंद का विवाह (Munshi Premchand Ki Kahaniyan Pdf)

प्रेमचंद जी बचपन से, किस्मत की लड़ाई से लड़ रहे थे । कभी परिवार का लाड-प्यार और सुख ठीक से प्राप्त नही हुआ । पुराने रिवाजो के चलते, पिताजी के दबाव मे आकर , बहुत ही कम उम्र मे पन्द्रह वर्ष की उम्र मे उनका विवाह हो गया ।

प्रेमचंद जी का यह विवाह उनकी मर्जी के बिना , उनसे बिना पूछे एक ऐसी कन्या से हुआ जो कि, स्वभाव मे बहुत ही झगड़ालू प्रवति की और, बदसूरत सी थी । पिताजी ने सिर्फ अमीर परिवार की कन्या को देख कर, विवाह कर दिया ।

Munshi Premchand Ki Kahaniyan Pdf

मुंशी प्रेमचंद द्वारा 118 कहानियों रचना की गई थी।   

  1. अन्धेर
  2. अनाथ लड़की
  3. अपनी करनी
  4. आख़िरी तोहफ़ा
  5. आखिरी मंजिल
  6. आत्म-संगीत
  7. गैरत की कटार
  8. गुल्लीी डण्डा
  9. आत्माराम
  10. दो बैल की कथा
  11. आल्हा
  12. इज्जत का खून
  13. इस्तीफा
  14. ईदगाह
  15. ईश्वरीय न्याय [1]
  16. उद्धार
  17. एक ऑंच की कसर
  18. एक्ट्रेस
  19. कप्तान साहब
  20. कर्मों का फल
  21. क्रिकेट मैच
  22. कवच
  23. क़ातिल
  24. कोई दुख न हो तो बकरी खरीद ला
  25. कौशल़
  26. खुदी
  27. अमृत
  28. अलग्योझा
  29. घमण्ड का पुतला
  30. ज्योडति
  31. जेल
  32. जुलूस
  33. झांकी
  34. ठाकुर का कुआं
  35. तेंतर
  36. त्रिया-चरित्र
  37. तांगेवाले की बड़
  38. तिरसूल
  39. दण्ड
  40. दुर्गा का मन्दिर
  41. देवी
  42. देवी – एक और कहानी
  43. दूसरी शादी
  44. दिल की रानी
  45. दो सखियाँ
  46. नरक का मार्ग
  47. नैराश्य
  48. लैला
  49. वफ़ा का ख़जर
  50. वासना की कड़ियॉँ
  51. विजय
  52. विश्वास
  53. नैराश्य लीला
  54. नशा
  55. नसीहतों का दफ्तर
  56. नाग-पूजा
  57. नादान दोस्त
  58. निर्वासन
  59. पंच परमेश्वर
  60. पत्नी से पति
  61. पुत्र-प्रेम
  62. पैपुजी
  63. प्रतिशोध
  64. प्रेम-सूत्र
  65. पर्वत-यात्रा
  66. प्रायश्चित
  67. परीक्षा
  68. पूस की रात
  69. बैंक का दिवाला
  70. बेटोंवाली विधवा
  71. बड़े घर की बेटी
  72. बड़े बाबू
  73. बड़े भाई साहब
  74. बन्द दरवाजा
  75. बाँका जमींदार
  76. बोहनी
  77. मैकू
  78. मन्त्र
  79. मन्दिर और मस्जिद
  80. मनावन
  81. मुबारक बीमारी
  82. ममता
  83. धिक्कार
  84. धिक्कार – एक और कहानी
  85. नेउर
  86. नेकी
  87. नब़ी का नीति-निर्वाह
  88. माँ
  89. माता का ह्रदय
  90. मिलाप
  91. मोटेराम जी शास्त्री
  92. र्स्वग की देवी
  93. राजहठ
  94. राष्ट्र का सेवक
  95. शंखनाद
  96. शूद्र
  97. शराब की दुकान
  98. शान्ति
  99. शादी की वजह
  100. शान्ति
  101. स्त्री और पुरूष
  102. स्वर्ग की देवी
  103. स्वांग
  104. सभ्यता का रहस्य
  105. समर यात्रा
  106. समस्या
  107. सैलानी बन्दर
  108. स्वानमिनी
  109. सिर्फ एक आवाज
  110. सोहाग का शव
  111. सौत
  112. होली की छुट्टी
  113. नम क का दरोगा
  114. गृह-दाह
  115. सवा सेर गेहुँ नमक कादरोगा
  116. दुध का दाम
  117. मुक्तिधन
  118. कफ़न
  119. नाटक
  120. संग्राम
  121. कर्बला
  122. प्रेम की वेदी

पुरस्कार और सम्मान – Munshi Premchand Ki Kahaniyan Pdf

  • प्रेमचंद के याद में भारतीय डाक तार विभाग द्वारा 30 पैसे मूल्य का डाक टिकट जारी किया गया।
  • गोरखपुर के जिस स्कूल में मे को पढ़ाते थे वहीं पर प्रेमचंद साहित्य संस्थान की स्थापना की गई।
  • प्रेमचंद की पत्नी शिवरानी देवी ने प्रेमचंद घर के नाम से उनकी जीवनी लिखी। 

पुरस्कार व सम्मान

प्रेमचंद की स्मृति में भारतीय डाकतार विभाग की ओर से 31 जुलाई 1980 को उनकी जन्मशती के अवसर पर ३० पैसे मूल्य का एक डाक टिकट जारी किया गया। गोरखपुर के जिस स्कूल में वे शिक्षक थे, वहाँ प्रेमचंद साहित्य संस्थान की स्थापना की गई है। इसके बरामदे में एक भित्तिलेख है जिसका चित्र दाहिनी ओर दिया गया है। यहाँ उनसे संबंधित वस्तुओं का एक संग्रहालय भी है।

जहाँ उनकी एक वक्षप्रतिमा भी है। प्रेमचंद की १२५वीं सालगिरह पर सरकार की ओर से घोषणा की गई कि वाराणसी से लगे इस गाँव में प्रेमचंद के नाम पर एक स्मारक तथा शोध एवं अध्ययन संस्थान बनाया जाएगा। प्रेमचंद की पत्नी शिवरानी देवी ने प्रेमचंद घर में नाम से उनकी जीवनी लिखी और उनके व्यक्तित्व के उस हिस्से को उजागर किया है, जिससे लोग अनभिज्ञ थे।

यह पुस्तक 1944 में पहली बार प्रकाशित हुई थी, लेकिन साहित्य के क्षेत्र में इसके महत्व का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसे दुबारा 2005 में संशोधित करके प्रकाशित की गई, इस काम को उनके ही नाती प्रबोध कुमार ने अंजाम दिया।

इसका अंग्रेज़ी व हसन मंज़र का किया हुआ उर्दू अनुवाद भी प्रकाशित हुआ। उनके ही बेटे अमृत राय ने कलम का सिपाही नाम से पिता की जीवनी लिखी है। उनकी सभी पुस्तकों के अंग्रेज़ी व उर्दू रूपांतर तो हुए ही हैं, चीनी, रूसी आदि अनेक विदेशी भाषाओं में उनकी कहानियाँ लोकप्रिय हुई हैं।

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