Amer Ka Kila Jaipur History In Hindi – राजस्थान की राजधानी जयपुर मे स्थित आमेर का किला जयपुर में अरावली पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह किला अपनी वास्तुशिल्प कला और इतिहास की वजह से जाना-जाता है।
आमेर का किला भारत में इतना ज्यादा प्रसिद्ध है कि यहाँ पर हर रोज लगभग पांच हजार से भी अधिक लोग घूमने के लिए आते हैं। जयपुर मे स्थित इस किले मे विदेशो से काफी लोग भ्रमण करने आते है ओर इस किले की साज सज्जा उनको अपनी ओर आकृषित करती है।
1. आमेर के किले का निर्माण किसने करवाया
आमेर का किला हिस्ट्री इन हिंदी – आमेर के इस दुर्ग का निर्माण करीब निर्माण 16 वीं शताब्दी मे हुआ था। आमेर का किला का निर्माण राजपूत मान सिंह प्रथम ने करवाया था व इस दुर्ग पर अनेक वर्षो तक राज किया । यह दुर्ग व महल अपने कलात्मक विशुद्ध हिन्दू वास्तु शैली के घटकों के लिये भी जाना जाता है।
2. आमेर का किला कहाँ स्थित है
आमेर का किला राजस्थान की राजधानी जयपुर जिले मे स्थित है इस किले को आमेर का किला या आंबेर का किला के नाम से भी जाना जाता है।
3. आमेर के किले का रहस्य
आमेर के किले का निर्माण से लेकर अब तक इस किले का रहस्य बना हुआ है कहा जाता है की आमेर के किले मे मान सिंह का खजाना छिपा हुआ है। लेकिन इस चीज की आज तक प्रमाणिक पुष्टि नही की जा सकी है।
एक और रहस्यमयी तथ्य इसके निर्माण की अवधि को लेकर सामने आता है जी इतिहासकार दावा करते है की आमेर के किला का निर्माण में 100 साल का समय लगा था। लेकिन ये बाते एक रहस्य ही बनी हुई है।
4. आमेर के किले की तोप
जयपुर मे स्थित आमेर के इस दुर्ग मे एक तोप भी रखी हुई है जिसका नाम जयबाण तोप है जो एशिया की सबसे बड़ी तोप है।
इस तोप के बारे मे कहा जाता है की परक्षण के दौरान इस तोप से गोला दागा गया था जो 30 किलोमीटर दूर जाकर गिरा था जहा पर एक बडा गड्डा बन गया। आमेर महल के पास स्थित जयगढ़ के किले में यह तोप स्थित है। जयबाण तोप का निर्माण जयसिंह द्वितीय ने करवाया था।
इसे ‘एशिया की सबसे बड़ी तोप‘ के नाम से भी जाना जाता है। इस तोप का निर्माण करीब 1720 मे करवाया गया था। इस तोप का वजन लगभग 50 टन से भी ज्यादा है। इस तोप का प्रयोग आज तक किसी भी युद्ध मे नहीं किया।
5. आमेर का किला के बारे में जानकारी
- ऐसा कहा जाता है या कुछ लोगो का मानना है कि इस किले का नाम आमेर, भगवान शिव के नाम अंबिकेश्वर पर रखा गया था। जबकि, कुछ लोग आमेर किले का नाम को लेकर को ऐसा मानते हैं कि इस किले का नाम मां दुर्गा का नाम, अंबा से लिया गया है।
- भारत के सबसे प्रचीनतम किलों में से एक आमेर के किले को पहले कदीमी महल के नाम से जाना जाता था, इसके अंदिर शीला माता देवी का मशहूर मंदिर भी स्थित है।
- आमेर के इस विशाल दुर्ग के अंदर 27 कचेहरी नामक एक भव्य इमारत भी बनी हुई है, जो कि यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है।
- हिन्दू एवं मुगलकालीन वास्तुशैली से निर्मित यह अनूठी संरचना अपनी भव्यता और आर्कषण की वजह से वर्ष 2013 में यूनेस्को द्धारा वर्ल्ड हेरिटेज की साइट में शामिल की गई थी।
6. आमेर दुर्ग के प्रमुख आर्कषण व दर्शनीय स्थल
- दीवान-ए-आम
- शीशमहल
- सुख निवास
- गणेश पोल
- दिल आराम बाग
- चांद पोल दरवाजा
- देवी शिला माता मंदिर
- दीवान-ए-खास