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कबीरदास का जीवन परिचय हिंदी में PDF Download

By | March 13, 2022
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(2) कबीर दास का जीवन परिचय 300 शब्दों में,                              (4) कबीर का जीवन परिचय Class 11

(3) कबीर दास का जीवन परिचय इन हिंदी Class 9                        (6) कबीरदास का जीवन परिचय हिंदी में इन शार्ट

कबीरदास का जीवन परिचय हिंदी में PDF Download – कबीरदास जी के जन्म के बारे में स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता कि कबीर दास जी का जन्म कब हुआ था वैसे तो या फिर विद्वानों के अनुसार कबीर दास जी का जन्म 1398 – 1448 में हुआ था कबीर दास जी का जन्म 1440 में पूर्णिमा पर ज्वेष्ठ के महीने में हुआ था।

कबीरदास का जीवन परिचय हिंदी में PDF Download

कबीरदास का जीवन परिचय हिंदी में PDF Download

कबीरदास जी का जन्म कहां हुआ था

कबीरदास जी काशी की एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से उत्पन्न हुए थे ब्राह्मणी ने नवजात शिशु को लहरतारा नामक तालब के पास छोड़कर चली गई थी।

कबीर दास जी को वहां से नीरू नाम का जुलाहा अपने घर पर ले आया उसी ने उसका पालन पोषण किया और यही बालक बाद में कबीर दास जी के नाम से विख्यात हुआ।

संत कबीर दास जी का जन्म 15 वी शताब्दी के मध्य यानी 1440 में काशी वाराणसी उत्तर प्रदेश में हुआ।

कबीर दास जी का जन्म किस परस्थिति मे हुआ

कबीर दास जी के जीवन के बारे में अलग – अलग विचार विपरीत तथ्य और कई कथाएं हैं

ऐसा माना जाता है या फिर कहा जाता है कि कबीर दास जी का जन्म बड़े चमत्कारिक रूप से हुआ था उसकी माता एक ब्राह्मण विधवा थी जो अपने प्रेमी के साथ एक प्रसिद्ध तपस्वी के तीर्थ यात्रा पर गई थी उनके समर्पण से प्रभावित होकर तपस्वी ने उन्हें आशीर्वाद दिया और कहा कि जल्द ही एक बेटे को जन्म देगी।

बेटे का जन्म होने के बाद बदनामी से बचने के लिए कबीर की मां ने उन्हें ( प्रेमी ) छोड़ दिया क्योंकि उनकी शादी नहीं हुई थी।

कबीर दास जी के जीवन के बारे में कई किदवन्तीया अलग-अलग रूप से कबीर दास जी का जीवन दर्शाती है कबीरदास जी का जीवन के बारे में स्पष्ट रूप से कहा नहीं जा सकता कबीरदास जी का जीवन जो भी है वह किदवन्तीयों के अनुसार ही रचा गया है।

कबीर दास जी का विवाह

कबीर दास जी का विवाह बचपन में ही कर दिया गया था कबीर दास जी की पत्नी का नाम लोई था कबीर दास जी के एक पुत्र और एक पुत्री भी थी पुत्र का नाम कमाल था और पुत्री का नाम कमाली था यह उनकी रचनाओं द्वारा प्रमाणित होता है कि पुत्र का नाम कमाल था ऐसा माना जाता है।

कबीर दास जी और गुरु रामानंद की भेंट

कबीर दास जी काशी के गंगा घाट के किनारे रहा करते थे ऐसा कहा जाता है कि कबीर दास जी गंगा घाट के किनारे बैठे हुए थे तभी वहां पर गुरु रामानंद जी स्नान कर रहे थे रामानंद की नजर कबीर दास पर पड़ी जिसके कारण कबीर के मुंह से राम शब्द निकल पड़ा इसी राम शब्द को सुनकर गुरु रामानंद अत्यधिक प्रसन्न हुए तभी से रामानंद ने कबीर दास जी को अपना शिष्य बना लिया।

उन्हें शिक्षा दी इस प्रकार कबीर दास जी के गुरु श्री रामानंद जी थे गुरु रामानंद जी ने कबीर दास को ज्ञान और भक्ति के दर्शन कराएं तथा उनके ज्ञान को विकसित करने में गुरु रामानंद जी ने भूमिका निभाई।

कबीर दास जी की प्रमुख रचना कौन सी है

वैसे तो कबीर दास जी की अनेक रचनाएं लिखी हुई है लेकिन कबीर दास जी के मुख्य रचनाएं

(1) कबीर की साखियां (2) सबद (3) रमणी प्रमुख रचनाएं हैं

कबीर की साखियां – इस रचना में ज्यादातर कबीर दास जी की शिक्षाओं का उल्लेख मिलता है और उसके सिद्धांतों का वर्णन इस रचना में बखूबी से किया गया है।

सबद – कबीर दास जी की सर्वोत्तम रचनाओं में से एक है इस रचना में कबीर दास जी के प्रेम और अंतरंग साधना का वर्णन खूबसूरती से किया गया है।

रमणी – इसमें कबीर दास जी के ने अपने कुछ दार्शनिक एवं रहस्यवादी विचारों की व्याख्या का वर्णन किया गया है इस रचना को कबीर दास जी ने चौपाई छंद में लिखा है।

कबीर दास जी की अन्य रचनाएं

मोको कहां – कबीर

रहना नहिं देस बिराना है – कबीर

दिवाने मन, भजन बिना दुख पैहौ – कबीर

राम बिनु तन को ताप न जाई – कबीर

हाँ रे! नसरल हटिया उसरी गेलै रे दइवा – कबीर

बीत गये दिन भजन बिना रे – कबीर

चेत करु जोगी, बिलैया मारै मटकी – कबीर

अवधूता युगन युगन हम योगी – कबीर

रहली मैं कुबुद्ध संग रहली – कबीर

तोर हीरा हिराइल बा किचड़े में – कबीर

घर पिछुआरी लोहरवा भैया हो मितवा – कबीर

सुगवा पिंजरवा छोरि भागा – कबीर

ननदी गे तैं विषम सोहागिनि – कबीर

भेष का अंग – कबीर

कबीर दास जी की मृत्यु कैसे हुई

कबीर दास जी ने अपना सारा जीवन काशी में रहकर ही लोगों के कल्याण के लिए और सामाजिक बुराइयों और कुरुतियों का अंत करने के लिए लगा दिया मृत्यु के समय कबीरदास जी मगहर चले गए जो कि उत्तर प्रदेश में पड़ता है ऐसा कहा जाता है कि उस समय मगहर में रहने वाले लोगों को नर्क की प्राप्ति होती थी कबीर दास जी ने इसी अंधविश्वास को झूठा साबित करने के लिए मगहर चले गए कबीर दास जी की मृत्यु के समय मगहर चले गए ताकि समाज में फैली हुई अंधविश्वास को जड़ से रोका जा सके।

कबीर दास जी 120 साल की उम्र में सन 1518 में देहांत हो गया उनके संपूर्ण जीवन लीला समाप्त हो गई कबीर दास जी ने समाज को अनेक संदेश दे गए।

4 thoughts on “कबीरदास का जीवन परिचय हिंदी में PDF Download

  1. Aajkaarjunmeena

    कबीर दास जी की शिक्षा

    Reply
  2. Ikra amsari

    This pdf is very good because i complete the file help of this pdf

    Reply
  3. Saurabh

    कबीर दास जी की सर्वोत्तम रचनाओं में से एक है इस रचना में

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