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कच्छ का रण किसके लिए प्रसिद्ध है

By | March 19, 2022
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कच्छ का रण किस राज्य में स्थित है

कच्छ का रण गुजरात राज्य मे स्थित एक विशाल लंबा मैदान है जो अपने नमक के कारण प्रसिद्ध है। कच्छ के इस मेदन मे ऐसा लगता है कि जैसे कोई बर्फ कि चादर बिछा दी गई हो। कच्छ के इस रन का इतिहास बहुत प्राचीन रहा है।

कच्छ के रण का इतिहास

कच्छ रण का इतिहास, गुजरात राज्य मे कच्छ के रण का इतिहास काफी पुराना है। क्षेत्रफल की दृष्टि से कच्छ जिला गुजरात राज्य का सबसे बड़ा जिला है। कच्छ मे ही धोलावीरा और सिंधु संस्कृति का विकास हुआ था।

कुछ अवशेषो के आधार पर ही कच्छ को सिंधु संस्कृति का हिस्सा माना जाता है। कच्छ मे कच्छी भाषा, सिंधी भाषा और गुजराती भाषा बोली जाती है। कच्छ को मुख्य चार भागों मे बाटा गया है, (1) वागड़, (2) कांठी, (3) मगपत, (4) पस्चम।

जब ब्रिटिश भारत मे आए तो कच्छ ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन हो गया था। कच्छ के राजा ने ब्रिटिश साम्राज्य से हाथ मिला लिया । भारत की स्वतन्त्रता के बाद कच्छ गुजरात राज्य के अधीन आ गया था। इसके बाद मे 01 नवंबर 1954 को कच्छ मुंबई का अधीन आ गया था। इसके बाद मे 1960 मे भाषा के आधार पर यह पुनः गुजरात मे आ गया।  

 कच्छ का रण कहाँ है

कच्छ का रण गुजरात राज्य में स्थित एक जिले का नाम है यह समुद्र किनारे स्थित है। कच्छ का रण क्षेत्र सीमा अधिक दूरी तक फैली हुई है, कच्छ 23,300 किलोमीटर में फैला हुआ है। यह समुंद्र का एक हिस्सा माना जाता है लेकिन 1819 में आए भूकंप के कारण इस जगह का भौगोलिक स्थान पूरी तरह से ही बदल गया था। इसका कुछ भाग  ऊपर की ओर उभर आया जिसके कारण यह क्षेत्र पूरे नमक मे बदल गया।

कच्छ को रन ऑफ कच्छ के नाम से भी जाना जाता है यह दो भागों में बटा हुआ है उत्तरी ग्रेट रन ऑफ कच्छ जो 257 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।

पूर्वी लिटिल रन ऑफ कच्छ यह ग्रेट रन ऑफ कच्छ से छोटा माना जाता है। यह 5178 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है । यहां पर गर्मियों में तापमान 50 डिग्री तक बढ़ जाता है और सर्दियों में बिल्कुल ही सून्य डिग्री पर आ जाता है।

कच्छ में जो भूमि है वह खारेपन के कारण सफेद हो गई है अतः मिट्टी को चारों तरफ जब देखते हैं तो लगता है जैसे बर्फ की कोई सफ़ेद चादर बिछी हो, इसका नजारा भी बेहद ही खूबसूरत दिखाई देता है।

कच्छ रण विवाद

गुजरात कच्छ रण का विवाद भी बहुत पुराना है। सन 1965 में कच्छ के रण को लेकर भारत पाकिस्तान में विवाद शुरू हो गया।

पाकिस्तान कच्छ के रण पर अपनी सीमाएं बढ़ाना चाहता था लेकिन ब्रिटेन के हस्तक्षेप के बाद ही युद्ध जैसी स्थिति खत्म हो गई थी।

संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव के द्वारा सिक्योरिटी काउंसलिंग को भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर इस पूरे मामले की जांच की गई और जिसके बाद में सन 1968 मे एक फैसला सुनाया गया, कि रण का 10% हिस्सा पाकिस्तान के पास रहेगा और 90% हिस्सा भारत के पास में रहेगा। इस प्रकार से विवाद खत्म होने के बाद मे सन 1969 में रण का विभाजन हो गया और जिसके बाद में यहां पर शांति कायम है।

रण ऑफ कच्छ मे फिल्मों की शूटिंग

कच्छ का रण किसके लिए प्रसिद्ध है

बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग भी रण ऑफ कच्छ के शानदार लोकेशन पर की जाती है। इसके अलावा कई एलबम गाने, नाटकों आदि की शूटिंग भी यहा होती रहती है। बॉलीवुड फिल्मों के डाइरेक्टर और प्रोड्यूसरो की गुजरात मे कच्छ ऑफ रण ही पहली पसंदीदा जगहो मे से एक जगह है। कच्छ के रण को देखने के लिए लोग भारत से ही नहीं बल्कि विदेश के कोने कोने से भी यहा आते हैं और इस जगह का लुफ्त उठाते हैं।

कच्छ में स्थित नारायण सरोवर तीर्थ स्थान

गुजरात के कच्छ जिले में नारायण सरोवर तीर्थ स्थान भी स्थित है। यह सरोवर कच्छ जिले के लखपत तालुका में स्थित है। यह एक तीर्थ स्थान है यहां पर सिंधु नदी का सागर से संगम भी होता है और इसी के तट पर नारायण सरोवर है।

इस सरोवर के तट पर भगवान आदिनाथ नारायण का प्राचीन मंदिर भी है यहां पर कार्तिक पूर्णिमा से 3 दिन का भव्य मेला भी आयोजित होता है। सरोवर में श्रद्धालु स्नान करते हैं और उसके बाद मंदिर में जाकर भगवान के दर्शन करते हैं। श्रद्धालु दर्शन करने के लिए भारत के कोने-कोने से आते हैं। मंदिर में दर्शन करते हैं और मेले में घूमते हैं। यह एक पवित्र और तीर्थ स्थान है जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं

कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा, अमिताभ बच्चन का कथन

“कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा” बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने भी गुजरात के कच्छ रण के बारे में लोगों को टीवी के माध्यम से बताते रहते हैं। उन्होंने कई बार गुजरात के लिए भी “एक बार तो आइए गुजरात में” विश्व के सभी लोगों से गुजरात देखने के लिए अपील करते नजर आते है। अब वह कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा से लोगों से अपील करते हैं। वाकई में ही यह जो कच्छ का रण है बहुत ही खूबसूरत, सौंदर्य पूर्ण और प्राकृतिक दृष्टि से बहुत ही अद्भुत नजारा है।

गुजरात के रण ऑफ कच्छ मे विदेशी पर्यटकों का आगमन

विदेशी पर्यटक कच्छ के रण में घूमने आते हैं कच्छ के रण की भूमि में नमक के कारण यह थार के रेगिस्तान एवं कश्मीर के जैसा प्रतीत होता है और यह इतना खूबसूरत दिखाई देता है इसकी खूबसूरती के कारण ही विदेशी पर्यटक भी अपने आपको यहां पर आने से रोक नहीं पाते, इसलिए यहां पर हमेशा ही विदेशी पर्यटकों का जमावड़ा रहता है

कच्छ का रण उत्सव

गुजरात के कच्छ का मुख्य आकर्षण केंद्र कच्छ का रण उत्सव है। कच्छ का रण में जो उत्सव मनाया जाता है वह पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। हर साल नवंबर से फरवरी के बीच यहां रण महोत्सव मनाया जाता है यह उत्सव क्षेत्र के धोरदों नामक गांव में होता है ।

रण महोत्सव की शुरुआत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सन 2004 में की गई थी। तब से ही यहां पर नवंबर से फरवरी तक हर साल रण महोत्सव मनाया जाता है और विदेशी पर्यटक भी इस महोत्सव में जमकर भाग लेते हैं।

यहां पर आने वाले पर्यटक चंद्रमा की चांदनी रात में कच्छ के इस दूर-दूर तक फैले सफेद रण का आनंद उठाते हैं। पर्यटक जब घर जाते हैं तो वे यहां से कई यादों को अपने साथ ले जाते हैं।

कोई उन्हें अपने कैमरे में कैद करके ले जाता है तो कोई अपने दिल में। कई पर्यटको को यहां की संस्कृति से भी बड़ा खास लगाव हो जाता है और अपने क्षेत्र में भी इस संस्कृति का के बारे में लोगों को बताते हैं।

कच्छ के रण मे ऊंट की सवारी

पर्यटको को इस गुजरात कच्छ का रण मे ऊँट की सवारी करने का मजा आता है। ऊँट की सवारी का आनंद विदेशी पावणे भी उठाते है। विदेशी पर्यटको को ऊँट की सवारी करने का आनंद आता है।

ऊंट के पैरो मे घंघरू बंधे होते हे जो चलने पर छन छन की आवाज करते है और उनकी छन छन की  आवाज बहुत ही मधुर लगती है। ऊंट को सजाया भी जाता है जिससे ऊंट रेतीले मिट्टी के धौरों मे और भी खूबसूरत लगता है।

 

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