गलताजी मंदिर का इतिहास – Galtaji Temple Jaipur History

By | May 26, 2022
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गलता तीर्थ स्थान का इतिहास – जयपुर का गलता जी मंदिर

गलताजी मंदिर का इतिहास - Galtaji Temple Jaipur History

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गलताजी मंदिर का इतिहास – गलता जी के मंदिर का निर्माण 18 वीं शताब्दी में दीवान राव कृपाराम द्वारा करवाया गया था जो जयपुर के राजा सवाई जयसिंह के दरबार में उनके सलाहकार भी हुआ करते थे। 18 वीं शताब्दी के शुरू में गलता जी तीर्थ स्थल रामानंदी संप्रदाय से संबंधित और जोगी समाज के आधीन वाले पूरी के लिए आश्रय का स्थान रहा है।

Galtaji Temple jaipur history In Hindi – प्राचीन कथाओं के अनुसार यह माना जाता है कि गलता जी नामक तीर्थ स्थान का निर्माण संत गालव जी नाम के एक ऋषि के नाम पर पडा था। संत गालव जी इस स्थान पर कई सालो तक तपस्या किया करते थे। उन्होंने यहां कई सालों तक घोर तपस्याऐं की, उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर देवताओं ने उन्हें कई वरदान दिये। अतः उसके बाद से ही इस स्थान का नाम गलताजी हो गया था।

प्राचीन समय से ही गलता जी तीर्थ स्थान साधु संतों के लिए तपस्या का एक मुख्य केन्द्र रहा है। यहां पर देष के कोने-कोने से साधु संत आते है। साधुओं की टोलिया यहां पर कई सालों तक भगवान की भक्ति किया करती है। वे यहां बनी धर्मषालाओं में निवास करते है।

जयपुर का गलता जी मंदिर

1. पहाड़ों की घाटियों में बसा हुआ एक बेहद खूबसूरत धार्मिक स्थल

गलताजी मंदिर का इतिहासगलता जी तीर्थ स्थान जयपुर शहर में स्थित पहाड़ों की घाटियों और तलहटी में बसा हुआ एक बेहद खूबसूरत धार्मिक स्थल है। यह धार्मिक स्थल जयपुर से दिल्ली रोड पर पूर्व की तरफ सूरजपोल गेट के सामने पहाडी की तलहटी में बसा हुआ है।

यहां पर छोटे-बड़े कई प्रकार के मंदिर बने हुए हैं। प्रत्येक मंदिरों की छतों पर खूबसूरत नक्काशी की गई है। गलता जी मंदिर में गुलाबी बलुआ पत्थरों का उपयोग किया गया है।

2. सूर्य मन्दिर

गलता जी की तरफ चलने पर सबसे पहले पहाडी पर सूर्य मंदिर के दर्शन होते है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य की पहली किरण इस मंदिर से होकर फिर शहर पर पड़ती है।

यहां पर सूर्य मंदिर के अलावा भगवान राम का मंदिर और हनुमान जी का मंदिर भी हमें देखने को मिलते है।

पहाडी के उपर से जब शहर की तरफ देखते है तब मानों ऐसा लगता है कि जैसे सारा शहर हमारी आखों में समा रहा हो। आखों से जितनी भी दूर तक देखा जाये वहां तक जयपुर शहर की खूबसूरती दिखाई देती है। और दूसरी तरफ गलता जी की तरफ देखते है तो हरियाली और उस हरियाली में बसा वो तीर्थ स्थान इतना सुन्दर दिखाई देता है मानों आखों से बस उसे निहारते ही रहें।

3. गलता जी में बने प्रमुख कुण्ड

गलताजी मंदिर का इतिहास - Galtaji Temple Jaipur History

गलता जी तीर्थ स्थान चारों ओर से ऊंची पर्वतमालाओं से गिरा हुआ है। देखने में अत्यंत रमणीय स्थान है। गलता जी में कुछ प्रमुख प्रकार के कुंड भी है। जैसे कि मर्दाना कुंड, जनाना कुंड, गर्म कुंड, लाल कुंड, बावरी कुंड, यज्ञ कुंड, प्रधान कुंड, आदि।

यहां पर निरंतर एक पानी का झरना भी चलता रहता है माना जाता है कि वह पानी पाताल से आ रहा है क्योंकि जब ऋषि गालव जी यहां तपस्या करते थे उसी समय उनको वरदान मिला था और उसी वरदान के कारण यह पानी निरंतर प्रतिदिन एक गोमुख के द्वारा मर्दाना कुंड में होते हुए बाकी प्रत्येक कुंड में बहता रहता है। यहां पर पानी की कभी कोई कमी नहीं रहती है।

विशेष पर्व या विशेष दिन गलता जी के सभी कुण्डो में श्रद्धालु पानी में धार्मिक आस्था की डुबकी लगाते हैं। सर्दियों के दिनों में कार्तिक मास की पूर्णिमा को भी श्रद्धालु यहां पर ठण्डे-ठण्डे पानी में डुबकी लगाते है।

उस दिन यहां पर हजारों की संख्या में लोग कुण्ड के पानी में डुबकी लगाने आते है। वे यहां पर अपनी मुरादे पूरी करने के लिए कुण्ड में डुबकी लगाते है। श्रद्धालुओं की मान्यता है कि इस पवित्र तीर्थ स्थल में बने कुण्ड में डुबकी लगाने से कई प्रकार के रोगो का निवारण भी हो जाता है।

श्रावण के महीनों में यहां से श्रद्धालु कुण्ड से पानी लेकर भोलेनाथ के मन्दिर में षिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। कई यात्राऐं यहां पर आती है। यहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते है।

4. विदेशी पर्यटकों का आर्कषण का केन्द्र

गलता जी तीर्थ स्थान पर विदेषी पर्यटक अपने आप को यहां पर आने से रोक नहीं पाते है। क्यों कि यह स्थान है ही इतना खूबसूरत कि इसे देखने के लिए वे यहां पर खीचें चले आते है। जयपुर मे विदेषी पर्यटकों का मुख्य आर्कषण का केन्द्र गलता जी तीर्थ स्थान है। वे यहां पर प्रत्येक मन्दिर में भ्रमण करते है। वे यहां के मन्दिरों में बनी कारीगरी एवं नक्काषी को देखकर बेहद प्रसन्न होते है।

5. हजारों की संख्या में बंदरों की टोलिया

इस स्थान पर हजारों की संख्या में बंदर देखने को मिलते है। ये बंदर तीर्थ स्थान के चारों और ही रहते है। अनेक श्रद्धालु इन बंदरों को खाना भी खिलाते है। कोई इन बंदरों को गुढ़ व चने भी खिलाते है। इन बंदरों को खाना और फल खिलाना श्रद्धालु अपना धार्मिक कार्य भी समझते है। बंदरों की टोलिया कभी भी श्रद्धालुओं को किसी प्रकार का कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाती है।  

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