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ब्रह्मा जी का मंदिर राजस्थान

By | April 28, 2022
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ब्रह्मा जी का मंदिर राजस्थान :– ब्रह्मा जी का मन्दिर पूरे विष्व एवं भारत में केवल अजमेर जिले के पुष्कर शहर में स्थित है। इस मन्दिर का निर्माण एक श्राप के कारण हुआ था। ब्रह्मा जी को श्राप उनकी पत्नि सावित्री जी ने दिया था। उस श्राप के कारण से ही ब्रह्मा जी का विष्व में केवल एक ही मन्दिर बना हुआ है।

ब्रह्मा जी का मंदिर कौन सी जगह पर है

पूरे भारत में हमें हिंदू देवी-देवताओं के अनेकों मंदिर देखने को मिलेंगे। हर देवता के एक से अधिक मंदिर अलग-अलग स्थान पर मिलेंगे। लेकिन विश्व में और पूरे भारत में सिर्फ ब्रह्मा जी का मंदिर हमें अजमेर जिले के पुष्कर शहर में ही देखने को मिलेगा। हिंदू धर्म में वैसे तीन देवताओं को प्रमुख माना जाता है। इस प्रमुख देवताओं में ब्रह्मा, विष्णु, महेश का नाम सर्वोपरि आता है।

ब्रह्मा जी का मंदिर राजस्थान

ब्रह्मा जी का मंदिर पुष्कर

  1. ब्रह्मा जी का मंदिर पुष्कर में ही क्यों है
  2. राजस्थान में ब्रह्मा जी का मंदिर कहां पर है
  3. ब्रह्मा जी का एकमात्र मंदिर कहां स्थित है
  4. ब्रह्मा जी का मंदिर कहां स्थित है
  5. ब्रह्मा जी का मंदिर कौन सी जगह पर है
  6.  ब्रह्मा की पत्नी कौन थी
  7.  ब्रह्मा जी के मन्दिर का निर्माण कैसे हुआ और किसने करवाया
  8.  राजस्थान में ब्रह्मा जी के मंदिर
  9. ब्रह्मा जी का मंदिर किस राज्य में है
  10. ब्रह्मा जी का मंदिर क्यों नहीं है

ब्रह्मा जी का नाम सृष्टि के रचयता के रूप में लिया जाता है। विष्णु जी का नाम इस सम्पूर्ण सृष्टि के पालनहार कर्ता के रूप में एवं महेश जी का नाम संहारक के रूप में लिया जाता है।

ब्रह्मा जी को छोड़कर इन दोनों देवताओं के मंदिर आपको एक नहीं अलग-अलग स्थानों पर कितने ही मंदिर देखने को मिल जाएंगे। लेकिन ब्रह्मा जी का केवल एक ही मंदिर है जो पूरे भारत में अजमेर जिले के पुष्कर शहर में स्थित है।

ब्रह्मा जी का मंदिर का निर्माण कैसे हुआ और किसने करवाया

तीर्थो का मामा कहे जाने वाले पुष्कर स्थान पर ब्रह्मा जी का यह विशेष मंदिर देखने लायक है। इस मंदिर का निर्माण किसने और किसके द्वारा पूर्ण रूप से करवाया गया यह आज तक किसी को नहीं पता है।

कहा जाता है कि 2000 वर्ष पूर्व एक आरणय वंष के राजा ने इस मन्दिर का पुनः निर्माण करवाया था। राजा को सपने में यह मंदिर दिखाई दिया था। उसे स्वप्न में यह दिखाई दिया कि यहां पर ब्रह्मा जी का एक प्राचीन मन्दिर है। अतः उसके बाद में उन्होंने इस मंदिर की स्थापना करके इसे पुनः निर्माण करवाया था।

मंदिर के प्रवेश द्वार पर हंस की मुर्ति बनी हुई है। मंदिर के अंदर ब्रह्मा जी और उनकी पत्नी सावित्री की मूर्तियां स्थापित है। मंदिर में पत्थरों के रूप में संगमरमर के पत्थर का उपयोग किया गया है।

ब्रह्मा जी की पत्नि ने श्राप क्यो दिया

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक समय की बात है जब पृथ्वी पर व्रजनाष नामक एक राक्षस हुआ करता था। वह पृथ्वी पर उत्पात मचाया करता था। सभी लोगों पर वह अत्याचार करता था। वह देवताओं को भी मारता था। परेशान करता था, अतः सभी देवताओं के आग्रह और प्रार्थना करने पर ब्रह्मा जी ने उस राक्षस का वध करने का निश्चय किया।

पृथ्वी पर जाकर व्रजनाष नामक राक्षस का ब्रह्मा जी ने वध कर दिया और पृथ्वी के संपूर्ण कल्याण के लिए उन्होंने एक यज्ञ का आयोजन किया।

राक्षस का वध करते समय उनके हाथ से कमल की तीन पंखुड़ियां पृथ्वी पर गिर जाती है जो पुष्कर स्थान के समीप गिरती है। उन तीनों पंखुडियो से तीन सरोवर उत्पन्न होते हैं। कमल की तीन पंखुडिया जिस स्थान पर गिर जाती है उन स्थानों को ज्येष्ट, मध्य और कनिष्क कहा जाता है। अतः उस घटना के बाद ही उस स्थान का नाम पुष्कर पडा था।

पृथ्वी के संपूर्ण कल्याण के लिए ब्रह्मा जी ने एक यज्ञ का आयोजन किया। ब्रह्मा जी ने यज्ञ करवाना शुरू किया। शुभ मुहूर्त बीता जा रहा था और यज्ञ में ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री समय पर नहीं पहुंच पाई थी।

इससे ब्रह्मा जी ने सोचा कि अगर यज्ञ संपूर्ण नहीं हुआ तो अशुभ हो जाएगा। अतः उन्होंने गुर्जर समुदाय की एक कन्या से विवाह कर उस कन्या को यज्ञ में अपने साथ बिठा लिया और यज्ञ प्रारंभ कर दिया।

उसके कुछ समय बाद ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री यज्ञ में पहुंच गई और ब्रह्मा जी के समीप उस कन्या को देख कर क्रोधित हो गई। उनका क्रोध इतना तेज था कि उन्होंने अपनी पति ब्रह्मा जी को ही श्राप दे दिया।

उनका श्राप था कि आज के बाद पृथ्वी पर आप की पूजा इसी स्थान को छोडकर और दूसरे स्थान पर कभी नहीं होगी। इस स्थान के अलावा आपका विश्व में कोई दूसरा मंदिर नहीं होगा।

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पृथ्वी वासी सिर्फ आपको पुष्कर में ही पूज पाएंगे। इसके साथ यज्ञ में जो उपस्थित थे उन सभी को श्राप मिला। उनमें यज्ञ कराने वाले पंडित जी को भी श्राम मिला कि भविष्य में आप जितनी भी दान-दक्षिणा लोग उससे आप कभी भी संतुष्ट नहीं रह पाओगे। वहां पर उपस्थित गायों को भी श्राम मिला कि भविष्य में आप गंदगी खाने के लिए मजबूर हो जाएंगी।

जब सभी देवी देवताओं और लोगों ने ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री से निवेदन किया कि मां आप अपना श्राम वापस ले लीजिए। तब सावित्री जी ने श्राप लेनेे से मना कर दिया और ब्रह्मा जी को सिर्फ इतना कह दिया कि ब्रह्मा जी की पूजा पृथ्वी पर इसी स्थान पर की जाएगी इसके अलावा किसी और स्थान पर नहीं की जाएगी।

यदि कोई इनका मंदिर किसी और स्थान पर बनाने की कोशिश करेगा तो उसका विनाश संभवत अपने आप ही हो जाएगा। इसके बाद में सावित्री जी तपस्या में लीन हो जाती है। पुष्कर स्थान के पीछे पहाड़ी है जहां पर उनका भी मंदिर बना हुआ है।

कार्तिक पूर्णिमा को भरने वाला पुष्कर मेला

पुष्कर मेला हिन्दूओं के प्रसिद्ध मेलों में से एक मेला है। यह मेला कार्तिक पूर्णिमा को पुष्कर में लगाया जाता है। जहां पर हजारों की संख्या में लोग मेले में दर्षनों के लिए आते है। देश विदेश से भी पर्यटन इस मेले का आनंद लेने के लिए आते है।

श्रद्धालु झील में स्नान करते हैं  और इसके बाद में मंदिर में जाकर दर्शनों का लाभ प्राप्त करते हैं। इस मेले में कला संस्कृति, रंग बिरंगी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। यहां पर पशु मेला का भी आयोजन किया जाता है।

ब्रह्मा जी का मन्दिर पूरे सप्ताह के लिए खुला रहता है। इसके खुलने का समय सुबह 06 बजे से रात 08 बजे तक का है।

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