कुम्भलगढ़ का इतिहास – Kumbhalgarh History in Hindi

By | March 20, 2021
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कुम्भलगढ़ का इतिहास के बारे में

(About Kumbhalgarh Fort in Hindi )

Kumbhalgarh History in Hindi : कुंभलगढ़ का किला राजस्थान के प्राचीन किलो में से एक है कुंभलगढ़ का किला मेवाड़ की ऐतिहासिक धरोहर है।राजस्थान के इतिहास में कुंभलगढ़ चित्तौड़गढ़ के बाद राजस्थान का सबसे बड़ा दुर्ग है कुंभलगढ़ किले का प्रत्येक महल और किला ऐतिहासिक स्थल है।

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कुंभलगढ़ कहां स्थित है Kumbhalgarh Durg Kahan Sthit Hai

कुम्भलगढ़ का इतिहास Kumbhalgarh History in Hindi

कुम्भलगढ़ दुर्ग राजसमन्द ज़िला, उदयपुर की केलवाड़ा तहसील में स्थित है। यह उदयपुर के उत्‍तर-पश्‍चिम में करीब 80 कि.मी. दूर अरावली पर्वत शृंखला के बीच स्‍थित है। 2013 में इस महान किले को यूनेस्को द्वारा इसे विश्व विरासत स्थल भी घोषित किया गया था। राजस्थान के मेवाड़ के सबसे बेहतरीन और प्रसिद्ध किलो में से कुंभलगढ़ के दुर्ग की गिनती की जाती है ।

कुंभलगढ़ किला का निर्माण – Kumbhalgarh Kile Ka Nirmaan Kisne Karvaya

कुंभलगढ़ किला का निर्माण महाराणा कुंभा ने 1459 को करवाया था इस कुंभलगढ़ किले को उस समय अजयगढ़ कहा जाता था। क्योंकि इस महान किले पर विजय प्राप्त करना करीब असंभव था और इस किले के चारों तरफ एक बड़ी दीवार बनी हुई थी यह दीवार चीन की दीवार के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी दीवार है।

कुंभलगढ़ दुर्ग की दीवारें करीब 36 किलोमीटर लंबी है और यहां महान किला यूनेस्को की सूची में भी सम्मिलित है। कुंभलगढ़ दुर्ग कई घाटी व पहाड़ियों को मिलाकर बनाया गया है।

राजस्थान की शान कुंभलगढ़ दुर्ग किले को मेवाड़ की आंख भी कहते हैं कुंभलगढ़ दुर्ग के भीतर एक और दुर्ग भी बना हुआ है जिसे कटारगढ़ के नाम से भी जाना जाता है। यह गढ़ सात विशाल द्वारा और मजबूत प्राचीरो से सुरक्षित है इस दुर्ग के भीतर बादल महल और कुंभा महल भी बने हुए हैं।

कुंभलगढ़ दुर्ग के संबंध में अबुल फजल और कर्नल जेम्स टॉड का कथन

कुंभलगढ़ दुर्ग के संबंध में अबुल फजल ने लिखा कि यह दुर्ग इतनी बुलंदी पर बना हुआ है कि इस दुर्ग को नीचे से ऊपर की तरफ देखने पर सिर से पगड़ी गिर जाती है।

कर्नल जेम्स टॉड ने इसके स्वरूप की दृष्टि से इस दुर्ग को चित्तौड़ से रखा।

राजस्थान के इतिहास में कुंभलगढ़ का किला एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जो राजसमंद जिले में उदयपुर शहर से उत्तर पश्चिम में 82 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है कुंभलगढ़ का महान दुर्ग राज्य के पांच पहाड़ी किलों में से एक है।

कुंभलगढ़ की दीवार (Wall of Kumbhalgarh Fort In Hindi )

कुंभलगढ़ किला जो की महान दीवार से घिरा हुआ है कुंभलगढ़ दुर्ग की दीवार 36 किलोमीटर तक फैली हुई है और 15 मीटर चौड़ी है। कुंभलगढ़ किले की महान दीवार चीन की दीवार के बाद विश्व की सबसे लंबी दीवार है इसिलिय इसे द ग्रेट वाल ऑफ इंडिया भी कहा जाता है।

कुंभलगढ़ किले के भीतर मुख्य स्मारक (Main monument inside Kumbhalgarh Fort )

वेदी मंदिर (Vedi Temple In Hindi ) :- वेदी मंदिर का निर्माण महाराणा कुंभा द्वारा करवाया गया था और यह मंदिर हनुमान पोल के पास स्थित है जो की पश्चिम की और है ।

महाराणा कुंभा के बाद महाराणा फतेह सिंह द्वारा इस मंदिर को पुननिर्मित किया गया इस मंदिर मे 36 स्तम्भ है और वेदी मंदिर तीन मंज़िला अष्टकोणीय जैन मंदिर है।

गणेश मंदिर (Ganesh Temple In Hindi ) :- कुंभलगढ़ किले के भीतर बने सभी मंदिरों मे से गणेश मंदिर सबसे प्राचीन मंदिर है इस मंदिर का निर्माण भी महारणा कुंभा द्वारा किया गया था।

कुंभलगढ़ किले के निर्माण के समय मे गणेश मंदिर का निर्माण किया गया था।

बादल महल (Badal Mahal In Hindi ) :- बादल महल जो की कुंभलगढ़ किले के भीतर एक आकर्षण का केंद्र है बादल महल का निर्माण राणा फतेह सिंह ने 1885-1930 ईस्वी मे करवाया था। बादल महल जो की किले के भीतर बने सभी स्मारकों मे से एक महल है।

कुम्भ महल (Kumbh Mahal In Hindi ) :- कुम्भ महल, किले के भीतर गड़ा पोल के पास स्थित है और यह राजपूत वास्तुकला के बेहतरीन सरंचनाओ मे से एक है कुम्भ महल दो मंज़िला इमारत है और जिसमे सुंदर एक नीला दरबार भी है ।

पार्श्वनाथ मंदिर (Parshwanath Temple In Hindi ) :- पार्श्व नाथ मंदिर का निर्माण 1513 मे हुआ था यह किले के पूर्व की तरफ स्थित जैन मंदिर है।

कुंभलगढ़ किले की विशेषतए – kumbhalgarh ki visheshta

कुंभलगढ़ के दुर्ग की सबसे बड़ी विशेषतए यह है कि दुर्ग के भीतर एक और दुर्ग, बना हुआ है, जो सबसे ऊंचे भाग पर स्थित है और सीधी ऊंचाई के कारण इसे कटारगढ़ कहा जाता है।

कटारगढ़ मे प्रेवेश करने से पहले एक देवी का मंदिर है कटारगढ़ के छ: द्वारों को पार करने के बाद जो चौड़ा भाग आता है उसके दाये – बाये कि तरफ राज प्रसाद बने हुये है खाद व युद्ध सामग्री को एकत्रित करने के लिए बड़े-बड़े गोदम अश्वशाला और फीलखाना ( हाथियो का बाड़ा ) भी राजप्रासादों की सीमा मे बने हुये है।

महलों के द्वार इतने छोटे है की काफी झुककर महलो मे प्रेवेश करना पड़ता है महलो को देखने के बाद ऐसा प्रतीत होता है की महाराणा कुंभा ने मंदिर, स्तम्भ आदि बड़े कलात्मक बनवाए थे लेकिन स्वयम के रहने के महल बिल्कुल साधारण बनवाए थे।

कुंभलगढ़ किले की वास्तुकला (Architecture of Kumbhalgarh Fort In Hindi )

कुंभलगढ़ किला जो की समुद्र तल से 1100 मीटर ऊपर स्थित है। इस दुर्ग का निर्माण एक पहाड़ी पर किया गया है। कुम्भलगढ़ के दुर्ग के चारों ओर 13 पर्वत शिखर, 7 विशाल द्वार किले की रक्षा करते हैं,

इस दुर्ग के भीतर कुल 360 मंदिर बने हुये है और इन मंदिरो मे करीब 300 मंदिर जैन मंदिर है और बाकी मंदिर हिन्दू मंदिर है, कुंभलगढ़ दुर्ग की दीवार अरावली पहाड़ो मे फैली हुई है, इस दुर्ग के गेट को राम गेट या फिर राम पोल के नाम से भी जाना जाता है। कुंभलगढ़ किले की दीवार चीन की दीवार के बाद विश्व की दूसरी सबसे लंबी दीवार है। इस किले से थार रेगिस्तान का टिब्बा का एक सुंदर दृश्य देखा जा सकता है।

कुंभलगढ़ किले पर आक्रमण (Attack on Kumbhalgarh Fort In Hindi )

राजस्थान के इस प्रसिद्ध दुर्ग पर अनेक आक्रमण हुये और यह दुर्ग आक्रमणों का साक्षी भी रहा, इस महान दुर्ग पर 1457 मे अहमद शाह प्रथम ने आक्रमण किया और उसकी यह कोशिश नाकामयाब साबित हुई।

अहमद शाह ने इस किले को तोड़ना चाहा लेकिन यह दुर्ग अपनी विशालता के कारण मजबूती से डटा रहा अहमद शाह ने यहा पर स्थित मंदिरो को नुकसान पहुचाया।

अहमद शाह के बाद महमूद खिलजी ने भी इस दुर्ग पर 1458– 59 और 1467 में आक्रमण किया। लेकिन वह अपनी हर एक कोशिश में असफल हुआ।

इस महान दुर्ग पर अनेक आक्रमण हुये लेकिन यह दुर्ग हार नहीं माना परंतु दुर्ग के भीतर पानी की कमी होने के कारण राजपूत राजाओ को समर्पण करना  पड़ा था। इसलिए कुम्भलगढ़ किले को एक बार हार का सामना करना पड़ा।

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