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Rajasthan Ki Lok Deviya Pdf Download

By | March 22, 2021
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Rajasthan Ki Lok Deviya Pdf Download राजस्थान के जनमानस मे शक्ति के रूप मे लोक देवियों के प्रति अटूट विश्वास ओर आस्था है। साधारण परिवारों की इन कन्याओं ने लोक कल्याण कारी कार्य किए ओर अलोकिक चमत्कारो से  न साधारण के दुखो को दूर किया इसी प्रकार से जन सामान्य ने उन्हे देवियों के पद पर प्रतिष्ठित किया।

राजस्थान की प्रमुख लोक देवियां

Karni Mata In Hindi : करणी माता बीकानेर के राठौड़ शासकों की कुल देवी करणी जी चूहों वाली देवी के नाम से प्रसिद्ध है। इनका जन्म सुआप ग्राम मे चारण जाति के श्री मेहाजी के घर हुआ था देशनोक स्थित इनके मंदिर मे बड़ी संख्या मे चूहे है जो करणी जी के काबे कहलाते है।

चारण लोग इन चूहों को अपना पुर्जन मानते है यहा के सफ़ेद चूहो के दर्शन करणी जी के दर्शन माने जाते है। करणी जी का मंदिर मठ कहलाता है ओर मानते है की करणी जी ने देशनोक कस्बा बसाया ओर इनकी इष्ट देवी तोमड़ा थी करणी जी के मंदिर के पास तेमड़ा राय देवी का भी मंदिर है ओर यह भी कहा जाता है कि करणी देवी का एक रूप सफ़ेद चील भी है।

 Jeen Mata History In Hindiजीण माता चौहान वंश की आराध्य देवी जीण माता धंध राय की पुत्री एवं हर्ष की बहिन थी इनके मंदिर का निर्माण पृथ्वीराज चौहान प्रथम के शासन काल मे राजा हट्ट्ड़ द्वारा करवाया गया था जिसमे जीण माता की अष्टभुजी प्रतिमा है।

 Kela Mata Mandir : कैला देवी यह करौली के यदु वंश (यादव वंश ) की कुल देवी है कैला देवी का मंदिर करौली के पास त्रिकुट पर्वत, पर्वत  की घाटी मे स्थित है इनके भक्त इनकी आराधना मे प्रसिद्ध लांगुरिया गीत गाते है नवरात्रा मे इनका विशाल लक्खी मेला भरता है देवी के मंदिर के सामने भोहरा की छतरी है।

शिला देवी – इसे आमेर के महाराजा मनसिंह प्रथम पूर्वी बंगाल के राजा केदार से लाये थे यह जयपुर के (अन्नपूर्णा)  (आमेर ) कछवाहा राजवंश के आराध्य देवी है।

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जमुवाय माता- यह ढूँढाड के कछवाहा राजवंश की कुल देवी है इनका मंदिर जमवारामगढ़ जयपुर मे स्थित है।

 Aai Mata Mandir : आई जी माता रामदेव की शिष्या थी इन्होने छुआ छूत की भावना को दूर कर निम्न वर्ग को उचा उठाने का कार्य किया ये नवदुर्गा का अवतार मानी जाती है ओर सिरवी जाति के क्षत्रिय की कुल देवी है भक्त इनके मंदिर को दरगाह भी कहते है इनका थान बड़ेर कहलाता है।

 Rani Sati Mata : राणी सती अग्रवाल जाति की राणी सती का वास्तविक नाम नारायणी था इनका विवाह तनधन दास से हुआ था ओर उनकी मृत्यु के बाद नारायणी सती हो गई राणी सती के मंदिर मे हर वर्ष भाद्र पद आमावश्य को मेला भरता है इन्हे दादीजी भी कहते है।

 Sheetla Mata : शीतला माता चेचक की देवी के रूप मे प्रसिद्ध शीतला माता के अन्य नाम सैढल माता या महामाई भी है चाकसू स्थित इस मंदिर का निर्माण जयपुर के महाराजा श्री माधोसिंह ने करवाया था होली के बाद चेत्र कृष्ण अष्टमी को इनकी वार्षिक पुजा होती है ओर चाकसू के मंदिर पर विशाल मेला भरता है शीतला माता की सवारी गधा है इस देवी की पूजा बांझ स्त्रीया संतान प्राप्त करने के लिए भी करती है शीतला देवी की पुजा खंडित प्रतिमा के रूप मे की जाती है।

 Awad Mata : आवड़ माता जैसलमर के भाटी राजवंश की कुल देवी है जैसलमर के तेमड़ी पर्वत पर इनका मंदिर है।  लोकमानस मे सुगनाचिड़ी को आवड़ माता का स्वरूप माना जाता है।

नागणेची – नागणेची की अठारह भुजाओ वाली प्रतिमा बीकानेर के यशस्वी संस्थापक राव बीका ने स्थापित कारवाई थी नागणेची जोधपुर के राठौडो की कुल देवी है।

स्वांगीयाजी – आवड़ देवी का ही एक रूप स्वांगीया भी है जो जैसलमर के निकट विराजमान है ये भी भाटी राजाओ की कुल देवी है।

छींक माता – राज्य के माघ सुदी सप्तमी को छींक माता की पूजा होती है जयपुर के गोपाल जी के रास्ते मे इनका मंदिर है।

 Ambika Mata : अम्बिका माताजगत ( उदयपुर ) मे इनका मंदिर है जो शक्ति पीठ कहलाता है जगत का अम्बिका मंदिर मेवाड़ का खजुराहो कहलाता है।

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पथवारी माता – तीर्थ यात्रा की सफलता की कामना हेतु राजस्थान मे पथवारी देवी की लोक देवी के रूप मे पूजा की  जाती है पथवारी देवी ग्राम के बाहर स्थापित की जाती है इस देवी के चित्रो मे नीचे काला गौरा भैरु तथा ऊपर कावडिया वीर व गंगोज का कलश बनाया जाता है।

सुगाली माता – आउवा के ठाकुर परिवार की कुलदेवी सुगाली माता पूरे मारवाड़ क्षेत्र की जनता की आरध्ये देवी रही इस देवी प्रतिमा के के दस सिर ओर चौपन हाथ है।

नकटी माता – जयपुर के पास जय भवानीपूरा मे नकटी माता का प्रतिहारकालीन मंदिर है।

ब्राह्मणी माता – बाराँ जिले के अंता जिले के कस्बे से 20 किलोमीटर दूर सोरसन ग्राम के पास ब्राह्मणी माता का विशाल प्राचीनतम मंदिर है जहा देवी की पीठ का श्रंगार होता है विश्व मे यह अकेला मंदिर है जहा देवी की पीठ की पूजा होती है अग्र भाग की नहीं यह माघ शुक्ल सप्तमी को गधों का मेला भी लगता है।

जिलाणी माता – अलवर जिले के बहरोड कस्बे की लोक देवी ओर यहा इनका प्रसिद्ध मंदिर है।

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