सिवाना दुर्ग का निर्माण किसने कराया

By | December 23, 2021
Advertisements

सिवाना दुर्ग राजस्थान के प्राचीन दुर्गो मे से एक है राजस्थान के इस भू भाग पर करीब 10 मील दूरी पर कोई न कोई किला या दुर्ग जरूर मिल जाएगा इन्ही दुर्गो या किलो के कारण राजस्थान का इतिहास बहुत प्राचीन रहा है दुर्गो व किलो मे सिवाना दुर्ग का इतिहास बहुत प्राचीन है यह दुर्ग भी एक पहाड़ी पर बनाया गया है ।

Advertisements

सिवाना दुर्ग कहां स्थित है  – Siwana Durg Kahan Sthit Hai

सिवाना दुर्ग का निर्माण किसने कराया

सिवाना दुर्ग का निर्माण किसने कराया

सिवाना किला ऐसा ही एक प्राचीन दुर्ग है, जो राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित है। यह किला सिवाना तहसील एवं पंचायत ​समिति मुख्यालय पर ही एक ऊँची पहाड़ी पर बना हुआ है। सिवाना दुर्ग राजस्थान के सबसे पुराने किलों में से एक है।

सिवाना का किला किसने बनाया था  – Siwana Kila Ka Nirman Kisne Kiya Tha

सिवाना दुर्ग Siwana Durg का निर्माण पंवार राजा भोज के पुत्र श्री वीरनारायण द्वारा 10 शताब्दी में करवाया गया था। दुर्ग के निर्माण के समय इस पर पंवारों का अधिकार था बाद में इस दुर्ग पर जालोर के सोनगरा चौहानों का अधिकार हो गया 14 शताब्दी के आरम्भ में यह दुर्ग कान्हड़देव के भतीजे चौहान सरदार शीतलदेव के अधिकार आ गया था।

सिवाना दुर्ग पर अलाउद्दीन ख़िलजी का आक्रमण

अलाउद्दीन ख़िलजी ने चित्तौड़ व जालोर अभियान के दौरान 1306 को सिवाना दुर्ग पर आक्रमण कर दिया उस समय सिवाना दुर्ग पर शीतलदेव का आधीकार था अलाउद्दीन ख़िलजी द्वारा सिवाना दुर्ग को जीत लिया गया और इस दुर्ग का नाम सिवाना से बदलकर खैराबाद रखा दिया।

अलाउद्दीन ख़िलजी के बाद राव मल्लीनाथ के भाई राठौड़ जैतमल ने इस दुर्ग पर अधिकार कर लिया और बहुत समय तक इस दुर्ग पर जैतमल का अधिकार रहा।

सिवाना दुर्ग का इतिहास – Siwana Fort History In Hindi

सिवाना किला Siwana Durg चारों और से रेत से घिरा हुआ है, लेकिन इसके साथ-साथ यहां पूर्व से पश्चिम तक छप्पन के पहाड़ों का सिलसिला करीब 48 मील तक फैला हुआ है।

सिवाना दुर्ग का निर्माण किसने कराया

सिवाना दुर्ग पर राव मालदेव ने 1538 में अपना अधिकार करके इसकी सुरक्षा व्यवस्था को ओर मजबूत करने के लिए इस दुर्ग के चारों और परकोटे का निर्माण करवाया था।

अकबर की सेना ने जब 1600 मे इस किले पर आक्रमण किया था इस युद्ध के दौरान वीरता से लड़ते हुये शासक राव कल्ला राठोर शहीद हो गए और रानियो ने जौहर का रास्ता अपनाया।

अलाउद्दीन ख़िलजी ने इस दुर्ग को जीतने के लिए कई महीनो तक दुर्ग को घेरे रखा और सफलता की आशा न दिखने पर सिवाना दुर्ग के अंदर तालाब मे जहर मिला दिया जिससे पानी की कमी होने के कारण इस दुर्ग के गेट खोल दिये गए और अलाउद्दीन ख़िलजी द्वारा इस दुर्ग को जीत लिया।

सिवाना का दुर्ग एक ऐसे भू-भाग में आता है जो चारो ओर मरुभूमि से घिरा हुआ हैं. वर्षा ऋतू में सिवाणा की छप्पन की पहाड़ियां अपने मनोहारी रूप को धारण कर लेती हैं. 

भीमगोड़ा मंदिर

यहा का भीमगोड़ा मंदिर जो एक एतिहासिक मंदिर है इस मंदिर के निर्माण के बारे मे कहा जाता है की यहा मंदिर महाभारत काल के समय का है अज्ञातवास की कुछ अवधि पांडवों ने यही गुजारी थी, और कहा जाता है कि बलशाली भीम ने अपना घुटना मारकर पाताल से जल की धारा को यही से निकाला था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *