स्वामी विवेकानंद की जीवनी PDF in Hindi download

By | March 20, 2022
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स्वामी विवेकानंद कौन थे इन हिंदी

स्वामी विवेकानंद की जीवनी pdf स्वामी विवेकानन्द समाज के हीरो थे समाज मे फैले अंधविश्वास को दूर करना इनका प्रमुख कार्य था। स्वामी विवेकानंद जी विश्व विख्यात और प्रतिभाशाली छवि के व्यक्ति थे उन्होंने अमरीका स्थित शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया जो आज विश्व में विश्व ख्याति प्राप्त है उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की वे एक महान समाज सुधारक और महान व्यक्ति थे।

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स्वामी विवेकानंद सदियों से हर भारतीय युवा के लिए आदर्श रहे हैं। विवेकानंद बचपन से जिज्ञासु और एक विशेष प्रतिभा के धनी थे। उनका आदर्श विचार और शक्तिशाली व्यक्तित्व आज भी दुनिया को प्रेरित करती है।

स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय इन हिंदी

स्वामी विवेकानंद की जीवनी PDF in Hindi download – स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। स्वामी विवेकानंद के पिता का नाम विश्वनाथ दत्त था और माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था स्वामी विवेकानंद जी को नरेंद्र के नाम से भी जाना जाता था स्वामी विवेकानंद जी के पिताजी वकालत करते थे।

स्वामी विवेकानन्द के पिता जी एक विचारक अति उदार गरीबों के प्रति सहानुभूति रखने वाले तथा सामाजिक विषयों में व्यवहारिक और रचनात्मक दृष्टिकोण रखने वाले व्यक्ति थे।

स्वामी विवेकानंद जी की माता जी भुवनेश्वरी देवी जो सरल व अत्यंत धार्मिक महिला थी इनका जीवन बचपन से ही काफी संघर्ष भरा रहा है इन्होंने बहोत कम आयु में लगातार प्रयास और संघर्ष से 39 वर्ष की आयु में पूरे विश्व में छा गए थे । स्वमी विवेकानंद जी हिन्दू सभ्यता के शिरोमणि संत थे।

स्वामी विवेकानंद का बचपन का नाम क्या था

स्वामी विवेकानन्द जी बचपन से हैं चिंतनशील प्रवृत्ति के व्यक्ति थे उनके माता-पिता ने इसका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त रखा गया।

स्वामी विवेकानंद को विवेकानंद नाम किसने दिया था?

स्वामी विवेकानंद का नाम विवेकानंद कैसे पड़ा स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस ने सपने में आकर धर्म संसद में जाने का संदेश दिया था लेकिन नरेंद्र नाथ के पास पश्चिम देशों मैं जाने के लिए पैसे नहीं थे इसीलिए नरेंद्र नाथ ने खेत्री के महाराज से संपर्क किया उन्हीं के सुझाव पर अपना नाम स्वामी विवेकानंद रख लिया। इस प्रकार नरेंद्र का नाम स्वामी विवेकानंद पड़ा।

स्वामी विवेकानंद के गुरु कौन थे

स्वामी विवेकानंद की जीवनी PDF in Hindi download

स्वामी विवेकानंद के गुरु का नाम श्री रामकृष्ण परमहंस था। रामकृष्ण परमहंस कोलकाता के दक्षिणेश्वर में स्थित काली मन्दिर के प्रसिद्ध पुजारी थे। स्वामी विवेकानंद की श्री रामकृष्ण परमहंस से पहली भेंट 1881 में हुई थी।

दक्षिणेश्वर के इसी काली मंदिर में स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस के चरणों में बैठकर ईश्वर संबंधी ज्ञान पाया था। स्वामी विवेकानंद अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के साथ पाच वर्षों 1882 से लेकर 1886 तक रह सके।

स्वामी विवेकानंद के सामाजिक विचार PDF

स्वामी विवेकानंद समाज में व्याप्त समस्याओं को जड़ से नष्ट करना चाहते थे स्वामी विवेकानंद समाज के विभिन्न समस्या पर उन्होंने अपना महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए।

स्वामी विवेकानंद भारतीय समाज में व्याप्त राष्ट्रीयता छुआछूत पर कटि प्रहार किया वह उच्चव निम्न जातियों के भेद को मिटाना चाहते थे वे कहते थे तुम्हारे मन में जो ईश्वर स्थित है वही मेरे मन में भी है फिर यह भेदभाव क्यों यह समानता क्यों।

जातियों द्वारा निम्न जातियों के किए जाने वाले शोषण के विरुद्ध थे। स्वामी विवेकानन्द प्रत्येक राष्ट्र को अपनी स्त्री जाति का पूरा सम्मान करना चाहिए जो राष्ट्र स्त्रियो का आदर नहीं करते वो कभी उन्नति नहीं कर पाए और न भविष्य में ही कर पाएंगे ऐसा कथन स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था।

स्वामी विवेकानन्द जी ने स्त्रियों और धार्मिक तथा चरित्र संबंधित शिक्षा देने पर बल दिया स्वामी विवेकानंद जी ने बाल विवाह का विरोध किया बाल विवाह की आलोचना की विवेकानन्द ने समाज में रहकर हिंदू और मुस्लिम की एकता पर बल दिया स्वामी विवेकानंद ने आज समाज में फैली व्यर्थ कुरुतिया को हटाकर समाज को एक नई दिशा प्रदान करने पर बल दिया समाज में जितनी भी कुरुतिया थी उनकी कटु आलोचना की।

स्वामी विवेकानंद जी के विचार प्रमुख हैं

स्वामी विवेकानन्द संगीत साहित्य और दर्शन उनका शौक था स्वामी विवेकानन्द ने 25 वर्ष की आयु में ही वेद पुराण बाईबल कुरान पूंजीवाद अर्थशास्त्र राजनीति शास्त्र संगीत साहित्य आदि की तमाम तरह के विचारधाराओं को ग्रहण कर लिया था जैसे बड़े होते गए विवेकानंद सभी धर्म और दर्शन के प्रति अविश्वास हो गया।

विवेकानन्द ने कहा है उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए इस कथन के माध्यम से उन्होंने भारत के युवाओं को आगे बढ़ने के लिए संदेश दिया वर्तमान समय में भी विवेकानंद जी का यह संदेश युवाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है जो कि अब युवाओं का मूल मंत्र भी बन चुका है।

खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है

तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता

सत्य को हजार तारीख को से बताया जा सकता है फिर भी हर एक सत्य ही होगा

स्वामी विवेकानन्द पुस्तकें

  • कर्मयोग ज्ञानयोग
  • भक्तियोग
  • प्रेम योग
  • हिन्दू धर्म
  • मेरा जीवन तथा ध्येय
  • जातीय संस्कृति और समाजवाद
  • वर्तमान भारत
  • पवहारी बाबा
  • मेरी समर नीति
  • जागृति का संदेश
  • भारतीय नारी
  • इशदूत ईशा
  • धर्मतत्व
  • शिक्षा
  • राजयोग
  • मरणोत्तर जीवन

शिकागो व्याख्यान में स्वामी विवेकानंद ने क्या संदेश दिया था

शिखागो के व्याख्यान में स्वामी विवेकानंद ने प्रेम एवं मानवता का संदेश दिया था। स्वामी विवेकानन्द ने अमेरिका के शिकागों शहर में 11 सितंबर 1893 को हुए विश्व धर्म सम्मेलन में एक अविस्मरणीय व्याख्यान दिया था।

स्वामी विवेकानंद की मृत्यु कब हुई

स्वामी विवेकानन्द जी की मृत्यु 4 जुलाई, 1902 को हुई। मृत्यु के पहले शाम के समय बेलूर मठ में उन्होंने 3 घंटे तक योग किया। शाम के करीब 7 बजे अपने कक्ष में जाते हुए उन्होंने किसी से भी उन्हें व्यवधान ना पहुंचाने की बात कही और रात के 9 बजकर 10 मिनट पर उनकी मृत्यु की खबर मठ में फैल गई।

ऐसा कहा जाता है की स्वामी विवेकानन्द जी ने समाधि ले थी स्वामी विवेकानंद की मृत्यु दिमाग की नसे फटने के कारण हुई थी।

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